भारशिव भर क्षत्रिय जाति का इतिहास पर ,एक नजर
किसी ने कहा है
" जो सम्मान राजस्थान के राजपूतों को मिला है वह सम्मान यूपी के भरो को मिलना चाहिए " यह एक विद्वान इतिहासकार के कथन हैं भर क्षत्रियों को राजस्थान के राजपूतों से कम गौरव नहीं मिलना चाहिए ज्यों-ज्यों मुसलमानों की शक्ति बढ़ती गई ,भरो से बदला लेने के लिए चाटुकारो को लालच दिये, मेरा साथ दो मैं तुम्हें इस राज्य का राजा बनाऊंगा,
अंत में पूरी छल कपट यहां के चाटुकारों को मिलाकर इन्होंने भरो का सफाया किया, भर जाति तलवार से मौत के घाट उतार दी गई और कुछ लोग बचे वह जंगलों का शरण ले लीये, भर जाति का बलिदान अमर है वह देश के लिए था देश की रक्षा में अनगिनत बलिदान चढ़ाने वाली जातियों में भर प्रथम थे, इस वीर भार राजभर क्षत्रिय जाति की बहुत सारी कहानियां आज भी भारतवर्ष में सुनाई जाती है
एक छोटी सी कहानी के माध्यम से लेखक , कन्हैया लाल श्रीवास्तव जी ने नसीहत दी है
जिन्होंने सम्राट सुहेलदेव राजभर जी के जाति कुल का वर्णन नहीं किया है सुहेलदेव राजभर एक बीर पराक्रमी योद्धा थे, भरो ने इस देश के लिए अपना सब कुछ निछावर कर दिया, इसलिए भारत के सबसे क्षत्रियों में इनकी गिनती की जाती है,तमाम इतिहासकारों का मानना है कि इस देश के लिए भरो ने क्या नहीं किया तो आइए एक भर राजा की कहानी के तरफ रुख करते हैं
कहानी इस प्रकार है, एक राजा थे किसी कारणवश उनकी हाथी मर गई थी, राजा के अत्यंत प्रिय हाथी के मरने की सूचना राजा को देने की किसी में हिम्मत नहीं होती थी सभी प्रजा जन परेशान थे किया सूचना राजा को कैसे दी जाए कि आपकी हाथी मर गई है क्योंकि राजा उसे तुरंत मृत्युदंड दे देते थे, मृत्यु शब्द का नाम नहीं सुनना चाहते थे राजा ,इस अप्रिय घटना की सूचना देने वाले को मृत्युदंड भी दे सकते थे,
अतः एक चतुर संदेशवाहक ने राजा के पास जाकर कहा- हुजूर हाथी ना उठता है, ना बैठता है, ना खाता है ,ना पीता है, ना आंखें खोलता है ,ना बंद करता है, और ना तो सांस लेता है और ना ही सांस छोड़ता है तो राजा ने कहा, क्या हाथी मर गया हुजूर वह तो आप कह रहे हैं इस चतुराई से काम नहीं लिया होता तो राजा ने उसे मृत्यु दंड दे देते, यह कहानी भर राजाओं की है
कन्हैया लाल श्रीवास्तव जी का कहना है कि सुहेलदेव जी की जाति न लिखकर उपरोक्त संदेश वाहक की तरह मात्र संदेश दिया है
कन्हैया लाल श्रीवास्तव की लेखनी हमेशा ही प्रभुत्व संपन्न लोगों की सेवा करती रही है.
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