#महाराजा #मंगलसेन #भारशिव #राजभर #क्षत्रिय ( 1522 ई . - 1545 ई . ) अवध
वर्तमान समय में फैजाबाद जिले के सदर क्षेत्र में मंगलसी नामक एक परगना है . इस परगने को भर सम्राट मंगलसेन ने बसाया था . इसी शासक के नाम पर इस परगने का नाम पड़ा . अवध क्षेत्र में भर जाति की प्रधानता थी . आर्यों के भारत आगमन के पूर्व इस समृद्धशाली प्रदेश के शासक मुख्यतयाः नागवंशी लोग ही थे . राम के द्वितीय पुत्र कुश का विवाह नागकन्या चित्रांगदा से होना इस बात की तरफ संकेत है कि नाग जाति के लोग उच्च संस्कृति एवं सभ्यता के प्रणेता थे . राजकुमारी चित्रांगदा शिवोपासक थी . जैसा कि हम जानते हैं कि भारशिव शिव के महान पुजारी 2. लक्ष्मण को तो शेषावतार ही बताया गया है . रघुवंश के अवध पर कब्जा कर लेने के बाद नाग वंशी लोग उनके अधीन हो गये पर राजा परिक्षित ने अपने शासन काल में अवध क्षेत्र भर वंशियों को सौंप दिया . महाराजा मंगलसेन के विषय में विस्तृत ऐतिहासिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं . तथापि यत्र - तत्र उपलब्ध विवरणों के आधार पर यहाँ कुछ ऐतिहासिक प्रकाश देने का प्रयास मैं कर रहा हूँ . अवध के सेटिलमेंट अंग्रेज अधिकारी उडवन ( Woodburn ) ने मंगलसी परगने पर अपनी रिपोर्ट में भर शासकों द्वारा छोड़े गये किलों का जो वर्णन किया है उसमें कहा गया है कि किले बहुत बड़ी मात्रा में जीर्ण - शीर्ण अवस्था में बिखरे हैं . जो भर जाति के शासकों द्वारा निर्मित थे . ( नाग - भारशिव का इतिहास पृष्ठ 141-42 ) . ये किले भर शासक मंगलसेन द्वारा बनवाये गये मुगल शासकों ने भी इस क्षेत्र को अपने अधिकार क्षेत्र में कर लिया था . एम . ए . शेयरिंग के अनुसार मंगलसी परगने से भर जाति के लोग दो से तीन सौ वर्ष पहले ( 1545 से 1645 ई . ) वैश्यों द्वारा हराये गये थे . The Bais Rajputs of Oudh were very ruthless in their treatment of these industri ous aborigines . Mr. Patrick Carnegy in his " Historical Sketch of Fyazabad " gives a particular account of the successful raids made by members of the Bais tribe into What part of Oudh now known as the district of Fyzabad . The Bais of Malethu over . threw and dispossessed the Bhars only two hundred years ago . The Bais of Sohwal and Raru aided in the suppression of the Bhars four hundred years ago . The Bais of Uchhapali did the same about the same period . The Bais of Rampur Bhagun tikri fought the Bhars in the time of the emperor Jahangir . The Bais of Sonda took service under the Bhar chief some three hundred years back , Imbraced the opportunity of killling him , and seized his estates . The great Bais families holding lands in the pargannah of Mangalsi expelled the Bhars from two to three Marvdred year ago . The Mahomedans residing there state that Mangal Sen. from whose name the world Mangalsi is derived . was a Bhar.1 अदीत " इस उद्यमी मूल जाति से अवध के वैश्य राजपूत बड़ी निर्दयता का व्यवहार करते थे . मि . पेट्री . सरनेगी अपनी रचना “ हिस्टारिकल स्केच आफ फैजाबाद में वैश्य जाति के सदस्यों द्वारा उनपर सफलतापूर्वक आक्रमण करने का विशेष विवरण उस अवध क्षेत्र के विषय में देते हैं , जिसे , अब फैजाबाद जिला कहा जाता है . मलेथू के वैश्यों ने भरों को दो सौ वर्ष पहले हराया था तथा अधिकारच्युत किया था . सोहवल और रुरु के वैश्यों ने भरों को चार सौ वर्ष पहले दबाने में सहायक हुए . उच्चपाली के वैश्यों ने लगभग इसी समय वैसा ही किया . रामपुर , मल्ल . टिकरी के वैश्यों ने भरों से बादशाह जहाँगीर के समय ( 1605 -27 ई . ) युद्ध किया था . गोडा के वैश्यों ने भर - प्रमुख को तीन सौ वर्ष पीछे ( अर्थात 1545 ई . ) हराया . उसने अवसर को स्वीकार कर भर प्रमुख को मार डाला और उसकी रियासतों को कब्जे में ले लिया . महान वैश्य परिवार के लोगों ने मंगलसी परगना की भूमि को अपने अधिकार में ले लिया और भरों को दो से तीन सौ वर्ष पहले ( अर्थात 1545 से 1645 ई . ) वहाँ से भगा दिया . मुसलमानों ने उस मंगलसेन के निवास को अपना निवास स्थान बनाया , जिसके नाम से मंगलसी पड़ा , वह भर जाति का ह " उक्त विवरण से ज्ञात होता है कि मंगलसेन ने ही मंगलसेन परगना का निर्माण करवाया और वह भर जाति का शासक था . मुसलमान शासकों के आने के बाद वे मंगलसेन द्वारा निर्मित किर गये निवास को ही अपना निवास स्थान बना लिया . अवध गजेटियर , भाग एक , के पृरु 35 ( Introduction ) के अनुसार मुसलमानों के आगमन के पूर्व अवध पर छोटे - छोटे शासक राज्य करते थे . The country was devided into a number of small chieftainship , ruled over by clains who whatever their real origin may have been all professed themselves to be of the ruling caste of chhatris " अर्थात , " देश अनेक छोटे - छोटे सेनापतित्व में विभक्त हो गया था . जातियों का साम्राज्य इ . चाहे उनकी जाति के मूल का संबन्ध , जिससे भी रहा हो , वे सभी शासक जातियां क्षत्रियों के सदृश्य स्वीकृत थी . " विलियम क्रुक ने भी स्वीकार किया कि अवध से भरों को वैश्यों ने राज्यमुक्त किया . देखें ( The Tribes and Castes , volu , ( 1898 ) P. 5 , by w . CROOKE ) ये भर उस समय भारशिव कहलाते थे . अपने अपूर्व रणकौशल से वे क्षत्रिय उपाधि से विभूषित किय जाते थे . अवध गजेटियर , भाग दो ( 1877 ई . ) पृष्ठ 458 पर जो मंगलसी परगना के विषय जानकारी दी गयी है उसमें भी मंगलसी परगना के जनक मंगलसेन को ही कहा गया है , पर यहां उसे गौतम मुखिया कहा गया है . एक ने मंगलसेन का शासन काल हिजरी 760 = 1359 ई . कहा है जबकि शेयरिंग के अनुसार यह तिथि 1545 ई . बैठती है . दोनों तिथियों में लगभग पौने दो सौ वर्षों का अन्तर है जो समुचित नहीं जान पड़ता है , यह बहुत कुछ सम्भावना है कि भारशिव शासक मंगलसेन जहाँगीर के शासन काल में उसको स्कर लिया हो , तथा वहाँ की की संभावना नहीं बनती है . कुछ समय के लिए शासक घोषित हो गया हो

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