रायबरेली भरो द्वारा स्थापित किया गया था, जो भरौली या बरौली के नाम से जानी जाती थी जो कालांतर में परिवर्तित होकर बरेली हो गयी
रायबरेली = परंपरा यह है कि शहर भरो द्वारा स्थापित किया गया था जो भरौली या बरौली के नाम से जानी जाती थी जो कालांतर में परिवर्तित होकर बरेली हो गयी ।उपसर्ग ‘राय’ का सम्बन्ध कायस्थ जो समय के एक अवधि के लिए शहर के भर स्वामी थे उपाधि के तौर पर ‘राय’ शीर्षक का प्रतिनिधित्व करता है।
१३वी सदी के प्रारंभ में रायबरेली पर भरो का शासन था जिनको राजपूतो और मुस्लिम धोखे से उपनिवेशवादीयो द्वारा विस्थापित कर दिया गया था| जिले के दक्षिण पश्चिमी भाग पर बैस राजपूतों द्वारा कब्जा किया गया था।
दिल्ली के सुल्तानों के शासन के दौरान लगभग पूरा पथ नाममात्र उनके राज्य का एक हिस्सा था।
अकबर के शासनकाल के दौरान जिले द्वारा कवर क्षेत्र अवध और लखनऊ के सिरकार्स के बीच इलाहाबाद के सूबे जो जिले का बड़ा हिस्सा के रूप में शामिल किया गया।
मानिकपुर के सिरकार्स का क्षेत्र जनपद के बड़े भाग में जो की वर्तमान में लखनऊ जिले के मोहनलाल गंज परगना उत्तर पश्चिम पर दक्षिण में गंगा और उत्तर पूर्व पर परगना इन्हौना लखनऊ. इन्हौना के परगना अवध के सिरकार्स में उस नाम के एक महल के लिए सम्तुल्य था ।
सरेनी, खिरो परगना और रायबरेली के परगना के पश्चिमी भाग को लखनऊ के सिरकार्स का हिस्सा बनाया। 1762 में, मानिकपुर के सिरकार्स अवध के क्षेत्र में शामिल किया गया था और चकल्दार के तहत रखा गया था।
रायबरेली में आजादी की अनेकों गाथाएं हैं।उन्नाव के राजा राना बेनी माधव ने रायबरेली के एक बड़े हिस्से में अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ क्रांति की मशाल जलाई थी। अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले राजा बेनी माधव रायबरेली जिले के लिए महानायक बने। सन् 1857 की क्रांति के दौरान जनपद रायबरेली में बेनी माधव ने 18 महीने तक जिले को अंग्रेजों से स्वतंत्र कराया था।
रायबरेली, उन्नाव और लखनऊ में अंग्रेजों की दरिंदगी का सामना करने के लिए बेनीमाधव ने हजारों किसानों, मजदूरों को जोड़ कर क्रांति की जो मशाल जलाई उससे अंग्रेजों के दंभ को चूरचूर कर दिया गया।
अनेक घेराबंदी के बाद भी फिंरगी बेनी माधव को नहीं पा सके। शंकरपुर के शासक राजा बेनी माधव प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख योद्धाओं में से एक बने।
अवध क्षेत्र के ह्रदय स्थल रायबरेली में 18 महीने तक अपनी सत्ता बनाने वाले बेनी माधव ने अंग्रेजों के खिलाफ जो गुरिल्ला युद्ध छेड़ा वह किसी मिशाल से कम नही है।



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