यह तो तय है कि देश मे धर्म की रक्षा के लिये राजभर/भारशिव वंश के लोग जितना संघर्ष किये है, उतना किसी ने त्याग व संघर्ष नही किया है। उदाहरण के लिये भरतवंशियो के पूर्वज पुरू अपने पिता के कहने पर अपनी जवानी दे दिये थे और 1000 वर्ष तक वृद्ध रहकर भारत का सरताज रहे। राजा संवरण पंचाल से पराजित होकर सिंधु घाटी के जंगलों मे बसे और कठिन मेहनत करके राज्य का निर्माण करके वशिष्ठ को पुरोहित बनाकर पुनः भारत का राजा बने। संवरण पुत्र कुरू स्वयं प्रयागराज की खुदाई इतना किये कि मेघ शर्मा गया और वारिस किया।
भीष्म जी पिता की खुशी के लिये आजीवन शादी नही किये। पाचो भाई पांडव 13 वर्ष बनवास की सजा काटे। पांच गाव की विनती करने पर भीख नही मिली तो अधर्म के नाश के लिये 18 दिन महाभारत की लडाई लडें और पुनः सत्ता प्राप्त किये तथा कौरवों को भी साथ रखे। राजभरो के पूर्वज अर्जुन अज्ञातवास के समय नपुंसक हो गये थे। वे राजा विराट के कहने पर भी शिष्या उत्तरा से विवाह नही किये, बल्कि अपने पुत्र अभिमन्यु से उत्तरा का विवाह कराये। कुछ समय के लिये भरत वंश सोया था, ले कि न जब शको, कुषाण, हूणों ने देश बरबाद कर दिया तो पुनः शेर की तरह जगे और भर्तृहरि के भाई विक्रमादित्य ने शको को उजाड़ा, भर भारशिव ने कुषाण को उजाड़ा, भरो के पूर्वज गुप्त होकर शको व हूणों को उजाड़ा। 7वी शदी मे जब शक,कुषाण हूॅण अग्नि से शुद्ध होकर राजपूत बने व सूर्य से पवित्र होकर सरजूपारी ब्राहमण बने तो नान्दुक राजभर ने चंदेल वंश स्थापित किया,जिसमे यशोवर्मन प्रतापी राजा हुये जो गुजरात मे सोमनाथ मंदिर का निर्माण कराये। बनारस के भर राजा बनार के 1002 मे महमूद गजनवी द्वारा मारे जाने पर उनके कुल के देव वर्मा ने कन्नौज मे जाकर ग्रहवार वंश की स्थापना करके शासन किया। भर राजा दीपचन्द ने वैशवारा मे राज्य स्थापित किया। बनारस भर राजा के लडके ने ही बुन्देला वंश की स्थापना की।
भर राजा छत्रसाल ने ही झांसी का किला बनाकर औरंगजेब को पराजित किया था। झांसी की रानी उनके बेटी की बहू थी। 1857 मे झांसी की रानी के साथ अंग्रेजो के तांडव के कारण भर राजा अंग्रेजो की सत्ता हटाने की कसम खा लिये, लेकिन जो विदेशी हिन्दू बने थे, वे बदला लिये और अंग्रेजो का सहयोग किये और जमीदार ठाकुर भी अंग्रेजो का साथ दिये, राजभर राजा से रंक हो गया।
अंग्रेजो ने इस जाति को मार्शल कोम की उपाधि दी है। मार्शल माने सेनापति व लडाकू होता है। यह सच्चाई इसलिये अंकित कर रहा हू कि जिसे अपने इतिहास का ज्ञान नही रहता उसे आसानी से गुलाम बनाया जाता है। अतः सच्चाई जानकर होशियार बने। भारत की पिछड़ी जातिया राजभरो की तरह ही अंग्रेजो के विरोध के कारण अवनति को प्राप्त हुये है। सभी को होश व जोश मे आने की जरूरत है।

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