जिंदगी के मोड़ में कभी हार नहीं माननी चाहिए




हमारे भारत देश के गुजरात राज्य के शहर जूनागढ़ में छोटे से गांव चोरवाड मैं हीराचंद गोवर्धन अंबानी और जमनाबेन अंबानी के घर जन्मे 28 दिसंबर 1933 को धीरजलाल अंबानी जो कि अब धीरूभाई अंबानी के नाम से जाने जाते हैं
घर की आर्थिक तंगी की वजह से वह पढ़ाई सिर्फ दसवीं तक ही कर पाए और साथ में छोटे-छोटे काम करने लगे जैसे पहाड़ियों पर तीर्थयात्रियों को पकौड़े बेचने और पकौड़े बेच बेच कर कुछ पैसे इकट्ठे किए अपने बड़े भाई रमणिकलाल अंबानी के सहयोग से यमन चले गए


और पेट्रोल पंप पर नौकरी करने लगे और कुछ ही दिन में पेट्रोल पंप पर पर प्रबंधक बन गए और उनके साथ यह होता देख दूसरे कर्मचारी पेट्रोल पंप वाले से पूछने लगे कि हम तो इससे पहले आए है और उन्होंने बोला कि जो टैलेंट इसके अंदर है वह तुम्हारे अंदर नहीं है

और जब धीरूभाई अंबानी को यह बात पता चली तो उन्होंने तुरंत नौकरी छोड़ दी और बोला कि जब मेरे अंदर इतना टैलेंट है तो अपना खुद का बिजनेस करूंगा और वापस भारत चले आए और जूनागढ़ से मुंबई आए वर्ष 1958 को एक दोस्त की सहायता से रिलायंस वाणिज्य के नाम से कंपनी की स्थापना की और 1966 को पॉलिस्टर कंपनी की स्थापना की जो की कपड़े की थी

और अपनी कंपनी को सार्वजनिक किया जो कि विमल के नाम से थी और भारत में सबसे सस्ता और सबसे चमकदार कपड़ा देती थी और कुछ दिन में ही ब्रांड बन गई 1977 को अपना share IPO निकाला और एक गरीब पहुंच तक इक्विटी की स्थापना की भारत में जो कि प्रथम बार था और अपनी कंपनी को धीरे-धीरे बढ़ाने लगे और मैंन्यूफैक्चरिंग प्लांट लगाते चले गए और

आगे बढ़ते चले गए और पीछे मुड़कर नहीं देखा वर्ष 2000 तक रिलायंस इंडस्ट्रीज को भारत में 66000 करोड का कर दिया 6 जुलाई सन 2002 को दुनिया को अलविदा कह दिया एक चिथडे से भारत के टाइकून बनने तक की कहानी और यह सब उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से किया है ना की किस्मत से उनको भरोसा था खुद पर और जीत लिया दुनिया को यह सब एक सोच से ही संभव हो पाया है इन्होंने सोचा और करके दिखाया कि दुनिया को मुट्ठी में  किया जा सकता है ज़िद हो अगर जीतने की तो जीत जरूर जाते है 

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