कड़ा और कलिंजर
. दलकी और मलकी ( 1216-47 ई . ) बलकी और मलकी की राजधानी कड़ा और कलिंजर थी . उनके पूर्वज अजयगढ़ किले के शासक थे . पर उनके नाम का पता अभी तक नहीं चल पाया है . दलकी और मलकी शासकों का इतिहास बड़ा उलझाव भरा है . इन्डियन एन्टिक्वयरी , ( 1872 ) , भाग एक , पृष्ठ 265 में इन्न सी .
बेनेट दलकी और मलकी को भर वंश का शासक तो मानते हैं , पर इन नामों को वे इलमऊ तथा रायबरेली के भरवंशीय शासक डल और बल से जोड़ते हैं तथा एक समान मानने का प्रयास करते हैं . बेनेट की इस अवधारण में सच्चाई नहीं दिखाई देती है कि दलकी - मलकी तथा डल - बल दोनों एक ही नाम हैं . साक्ष्यों से ज्ञात होता है कि दलकी और मलकी अंतिम युद्ध में दिल्ली के शासक नासिरुद्दीन ( 1246-66 ) से पराजित हुए थे .
जबकि डल और बल जौनपुर के शासक इब्राहिम शाह शर्की ( 1402-1440 ई . ) से पराजित हुए . दोनों तिथियों में 156 से 174 वर्षों का अन्तर है . अतः दलकी - मलकी तथा डल - बल नामों में समानता स्थापित करना अमान्य किया जाता है . दोनों युगल शासकों की राजधानियां भी समान नहीं हैं . दलकी और मलकी शासकों का सर्व प्रथम उल्लेख मिनहाजुद्दीन द्वारा लिखित “ तबक्वत ई नसीरी " ( Tabqat -I - Nasiri ) में किया गया है . जिसका अंग्रेजी अनुवाद इस प्रकार दिया गया in 545 ( 1246-47 A D. ) Sultan Nasiruddin marched through the centre of the Doab and took the Tilsindah ( ? ) Fort , and in the same year advancing towards Karra laid waste the village of Dalki and Malki and took prisoners a number of their family and servants . This Dalki and Malki were kings in the neighbourhood of the Jamna , and had formerly royal stations at Kalinjar and Karra . " अर्थात " 545 ( 1246-47 ई . ) में सुल्तान नासिरुद्दीन दोआब के मध्य से मार्च करता हुआ गया और तिलसिन्दह ( ? ) किले को फतह किया तथा उसी वर्ष दलकी एवं मलकी नामक शासकों के गावों को नष्ट - भ्रष्ट किया और उन शासकों के परिवार वालों तथा सेवकों को बंदी बनाया ,
यह दलकी और मलकी यमुना के पडोष के शासक थे और ये दोनों कलिंजर तथा कड़ा के अति प्रतापी शासकों में से थे . " उक्त विवरणा से यह ज्ञात नहीं हो पाता है कि दलकी और मलकी किस वंश के शासक थे . पर इस तथ्य को वेनेट ने इस प्रकार स्वीकार किया है कि वे भर वंश के शासक थे . • The Dalki and Malki at history are no others than the great Bhar kings of tradi tional अर्थात , " इतिहास के दलकी और मलकी , महान मर शासकों की वंश परंपरा के अलावा और कोई नहीं थे . " 1. Indian Antiquary , ( 1872 ) , Voli.P.265 207 इल्तुतमिश ने 1224 ई . में इसी नासिरुद्दीन को सर्व प्रथम जब बहराइच का गवर्नर बनाया जो उसस्ने पुरैना के शासक पूरनमल ( 1194-1126 ई . ) को भी पराजित कर दिया था . बहराइच गजेटियर , पृष्ठ 119 , के अनुसार भर शासक पूरनमल द्वारा एक लाख बीस हजार मुसलमानों को मारे जाने के कारण नासिरुद्दीन ने बड़ी निर्ममता से भरों का कत्लेआम किया . आइने अकबरी में अजयगढ़ तथा कलिंजर के किले सरकार कलिंजर के अन्तर्गत आते थे ऐसा दिखाया गया है . अकबर के शासन काल में कलिंजर तथा अजयगढ़ क्षेत्रों में भरों की जनसंख्या पायी जाती थी . अजयगढ़ का किला पत्थर का बना पहाड़ पर स्थित था जबकि कलिंजर का किला चौरस भाग में बनाया गया था . यहाँ काल - भैरव की अनेक मूर्तियां स्थापित की गयी थी . अवध गजेटियर , भाग दो , के पृष्ठ 458 के अनुसार कड़ा ( Karra ) का निर्माण भर शासक कोरा ( Kora ) ने किया था . यह कड़ा गंगा के दाहिने किनारे पर बसा है जो इलाहाबाद से उत्तर - पश्चिम के कोने पर 40 मील दूरी पर स्थित है . वर्तमान समय में कड़ा फतेहपुर जिले के अन्तर्गत स्थित है . इस कड़ा पर कभी भर वंश के शासक राज्य करते थे , आज भी किला भग्नावशेष अवस्था में विद्यमान है . Karah is now a ruined town on the right bank of the Ganges , 40 miles N. W. of Allahabad..1 इसी तरह की संभावना कलिंजर के निर्माण में भी व्यक्त की जाती है . फरिस्ता रेकार्ड के अनुसार कालिंजर का निर्माण भर शासक केदार ( Kedar ) ने कराया था ,
जहाँ काल भैरव की स्थापना की गयी . एम . ए . शेयरिंग इस तथ्य से पूरी तरह सहमत हैं कि महोबा तथा दोआब का सम्पूर्ण प्रदेश चन्देलों के शासनकाल के पहले भरों , कोलों तथा गोंड़ों के कब्जे में था . इन प्राचीन जातियों से टूटकर अनेक नवीन जातियां भी बन गयी . इन्हीं में से राजपूत जातियां भी बनी . " Here they either formed new clans , or new branches of the old tribe . The absorp tion of their lands by thier enemies would be ill - brooked by a proud and coura geous people . And moreover , in those earlier days , extensive tracts of country seem to have been entirely in the hand of aboriginal tribes , like the Bhars , Kols Gonds and the like , whose lands must have appeared very tempting to a warlike people dispossessed of their own estates . ' '
? यदि उक्त तथ्य को नजर अन्दाज न किया जाय को अजयगढ़ के किले का शासक भर शासक ही हो सकता है जिसके वंश की छठवीं पीढ़ी में दलकी - मलकी नामक प्रबल भर शासक हुए . महाराजा दलकी अनेक किलों का निर्माण करवाया . बंगाल सिबिल सर्विस अधिकारी बेनेट बताते हैं कि दलकी की मृत्यु 1247 ई . के पहले हुई . ( The date of their death is therefore 1247 AD - Indian Antiguary , ValIP 265 ) . उनके एक और विवरण के अनुसार कनपुरिया वंश के राजपूत साहस और राहस ने भर - वंश के शासक तिलोकी और विलोकी को अवध क्षेत्र में स्थित प्रतापगढ़ जिले के पश्चिमी भाग में हराया , ( The ance stors of the great Kanpuria clan ol 2 Hindu Tribes and Castes ( 1872 ) , Vol . I. P. 181 , By M. A. SHEARING . 1 Ain Akban . Vol . I.P 178 , Trans by Colonnel Jarrett 209



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