राजभर समाज के बीच एक जुटता लानी होगी। पूर्वजों के संघर्ष से कुछ सीखने की जरूरत है। पूर्वजों का बलिदान व्यर्थ न जाए, इसका ध्यान रखना होगा।
अपने बच्चे को संस्कार देने की जरूरत है, जो संगठन की शक्ति को संजोए रखने में मददगार होगी, भर क्षत्रियों के इतिहास में स्वर्णाक्षरों से लिखा हुआ है
अपने राजभर समाज के बीच एक जुटता लानी होगी। पूर्वजों के संघर्ष से कुछ सीखने की जरूरत है।
अपने लक्ष्य के प्रति हम सभी को वफादार रहने की आवश्यकता है।
भर क्षत्रियों ने अपनी वीरता और एकजुटता का परिचय देते हुए मुगल शासकों को धूल चटाने और घुटने टेकने का काम कर चुके हैं।
भर क्षत्रियों को फिर से अपने पूर्वजों से सीख लेते हुए, इस एकता जुटाने की जरूरत है। क्योंकि क्षत्रिय समाज ही एक ऐसा समाज है, जो सभी समाज को एक साथ लेकर चलता है।
जब-जब भर क्षत्रियों ने अंगड़ाई ली है, तब-तब तख्ता पलटा है।
भर क्षत्रियों को मजबूत पकड़ बनाना होगा। सिर्फ तलवार ही नहीं कलम पर भी हम क्षत्रियों को पकड़ बनानी होगी।
राजनीति परिप्रेक्ष्य में भी भर क्षत्रियों को आगे बढ़ना होगा। जब हम अपने अधिकार के प्रति जागरूक हो जाएंगे, सरकार मजबूर होकर हमारे बातों पर अमल करेगी।
अब समय आ गया है कि हम अपने मान-सम्मान व स्वाभिमान की रक्षा के लिए एक मंच पर आ जाएं ताकि हमारा वजूद कायम रह सके।
समाज में हम भाईचारे का संदेश देते हुए लोगों के सुख दुःख में भागीदारी निभाएं,
यही भर क्षत्रिय समाज का सामाजिक दायित्व है। गिले-शिकवे भूलकर समाजिक समरसता स्थापित करें। हम भी सभ्य समाज के अगुओं में से हैं। कहां कि शौर्य व पराक्रम का परचम लहराने वाले
राष्ट्र रक्षक वीर योद्धा, वीर पराक्रमी ,महाराजा सुहेलदेव राजभर के आदर्शों व उनकी जीवन कृतियों को आत्मसात कर उनके व्यक्तित्व को आगे बढ़ाने का काम करें।
भर क्षत्रिय समाज को एकजुट करके दशा और दिशा बदलने की जरूरत है
ओम भारशिवाय नमः





जी साहब बिल्कुल समाजिक एकता के बिना सब अधूरा सा नजर आता है।
ReplyDeleteजय महाराजा भर क्षत्रिय सुहेलदेव जी