महोबा उत्तर प्रदेश का एक ऐसा जिला इसके शानदार इतिहास के लिए प्रसिद्ध है यह अपनी बहादुरी के लिए जाना जाता है वीर राजा कीर्तिपाल भर और अल्हा ऊदल की कहानियां भारतीय इतिहास में इसके महत्व को परिभाषित करती हैं ऐसे कई स्थान हैं
जो कि पिछले समय के जीवंत गौरवपूर्ण क्षण बना सकते हैं। महोबा बुंदेलखंड क्षेत्र में भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश में स्थित एक शहर है। महोबा खजुराहो, लवकुशनगर और कुलपहाड़, चरखारी, कालींजर, ओरछा और झांसी जैसे अन्य ऐतिहासिक स्थानों से निकटता के लिए जाना जाता है।
महोबा का नाम महोत्सव नगर से आता है, अर्थात महान त्योहारों का शहर। बार्डिक परंपरा शहर के तीन अन्य नामों को संरक्षित करती है
सती प्रथा सदियों से चलती आ रही एक परमपरा के तौर पर देखि जाती थी.ये प्रथा उस समय के मुग़लों के हांथों हारे हुए राजाओं की रानियों ने अपनी अस्मिता और सम्मान की रक्षा हेतु अपनाया था जिसमे राजा की विधवाएं मुस्लमान शाशकों के हत्थे चढ़ने के वजाये "आग" में कूदकर अपनी जान दे देना ज्यादा बेहतर समझती थीं.
ऐसी ही एक कहानी की याद दिलाता है बुंदेलखंड में मौजूद महोबा ज़िले की "चौदह रानी की सती" नामक एक जगह...अभी तक आपने "सांसारिक" तरीकों से जलाई जाने वाली आग में कूदकर सती होते हुए "रानियों" के बारे में सुना होगा....लेकिन इस किवदंती में कहा गया है की ये रानियां अपने पतिव्रता की शक्ति से उत्पन्न अग्नि से खुद को सती कर लेती हैं.
ये बात तब की है जब "महोबा" पर एक "भर-क्षत्रिय" राजा कीर्तिपाल सिंह का राज हुआ करता था...उस राजा की चौदह(14 ) रानियां हुआ करती थीं..
.उसी समय अरब से आये एक जेहादी फ़क़ीर "मालिक हुसैन" की सेना ने उस राजभर राजा को धोखे से मार दिया और उसका धन,दौलत लूटने के बाद उस राजा की रानियों को अपने हरम में रखने के लिए टूट पड़ा....इन पतिव्रता भर रानियों ने अपने आत्मशक्ति से अग्नि उत्पन्न की और उसमे कूदकर अपनी जान दे दीं.
महोबा में "भाटीपुरा" मौज़ा के "भरोखर" तालाब के पास ये जगह आज भी मौजूद है जिसे "चौदह रानी की सती" के नाम से जाना जाता है.
जिस समय राजा मंथन देव महोबा में राज्य कर रहा था उसी समय उज्जैन नगर में कुछ योगी लोग जो "भर" नाम से जाने जाते थे भर लोग बहुत ही शक्तिशाली थे, यह लोग वीर बहादुर के नाम से जाने जाते थे भरो का नेता योगी कृतिपाल राजभर
थे, वह बहुत ही वीर पराक्रमी वीर योद्धा थे
वह महोबा राज्य पर अधिकार जमाने का सपना देख रहे थे, वह सं.1246 में भरो की एक बड़ी जमानत लेकर अचानक महोबा में आ गए थे
और महोबा में अपना राज्य विस्तार किया
महोबा पर राज्य कर रहे राजाओं को हराकर अपना राज्य विस्तार किया
राजा मुसलमानों का बहुत ही कट्टर विरोधी थे
सत्ता में आते ही मुसलमानों को कष्ट देना प्रारंभ कर दी
और खबर और यह बात दिल्ली तक पहुंची उस समय दिल्ली बुग राखा का पुत्र मौजउद्दीन आसींद था मौज उद्दीन मेष राशि करने की योग्यता नहीं थी वह बहुत कुछ संगत में पड़ गया और राजकाज की उपेक्षा करने लगा उसके दरबार में हर समय रस्साकशी चलती रहती थी परंतु तब भी महोबा में मुसलमानों पर दमन की खबर पाकर वह तिलमिला उठा
धर्म की बात समझ कर उसने शाहअरब से सैनिक सहायता मांगी, उसके अनुरोध पर मीरहसन
एक बड़ी सेना लेकर दिल्ली आ पहुंचा, और फिर एक अपनी बड़ी सेना लेकर महोबा पर आक्रमण के लिए पहुंच गया महोबा पहुंचकर उत्तरी सीमा पर उसने अपने खेमा गाड़ी थे उस समय भर लो अचेत थे
भर राजा को इस बात की खबर पहुंची कि मुसलमानों की सेना अपनी सेना लेकर खेमा गाड़ी हुई है
लगातार 7 दिन तक युद्ध होता रहा जब आधा से अधिक सेना युद्ध में मारे गए थे मुसलमान
तब मुसलमानो ने सातवें दिन एक चाल चली और
रात के जब भर राजा सोए हुए थे तभी अचानक एकाएक रात के समय बिना आदेश दिए सैनिकों पर हमला कर दिया ,और इस तरह से योगी कृतिपाल भर की हार हुईं,
भर राजा अपने 14 लड़कों के साथ लड़ता हुआ मारे गए,
इन सब की रानी सती हो गई, आज भी इन भर रानियों के चबूतरे मौजूद है
आज भी लोग इनकी गुणगान करते हैं
वीरांगनाएं पतिव्रता भर राजपूतनी सतियों को नमन करता है हमारा "भारशिव नागवंशी राजभर क्षत्रिय" संगठन नमन करता है.
हे राजभर , कभी मौका मिले तो इस जगह को देखने ज़रूर जाना....दावा है आपकी आँखें नम हो जाएँगी.
REFERENCE :DISTRICT GAZETTEERS OF HAMIRPUR
D. L. DRAKE-BROCKMAN, I.C.S.





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