महाराजा छीता राजभर के वर्तमान किले का क्षेत्रफल सीतापुर जिले के खैराबाद परगने में आता है। यह निर्विवाद सत्य है कि खैराबाद को राजा खैरा भर ने बसाया था।


महाराजा छीता राजभर के वर्तमान किले का क्षेत्रफल सीतापुर जिले के खैराबाद परगने में आता है। यह निर्विवाद सत्य है कि खैराबाद को राजा खैरा भर ने बसाया था। प्राचीन काल में पराक्रमी राजा विक्रमाजीत के समय से खैराबाद को  चैत मास के नाम से जाना जाता था।

 यह स्थान तत्समय हिन्दुओं के तीर्थ स्थान के नाम से प्रसिद्ध था। इस तथ्य की पुष्टि “ गजेटियर प्राविन्स आफ अवध “ वाल्यूम II - H to M, वर्ष 1877, के पृष्ठ 123 पर प्रकाशित निम्नलिखित उदाहरण से भी होता है:- Khairabad Town Pargana Khairabad, District Sitapur : "The town is said to have been founded by one Khaira, a bhar, in the first year of the 11th century ................... . Before the above mentioned Khaira bhar's time the place was known as Masichait (Masi chitra) and was a place of pilgrimage so far back as the region of the great Bikramajeet."

खैराबाद जनपद सीतापुर के विस्तृत क्षेत्र पर भरो के दशकों से चले आ रहे आधिपत्य के बारे में अंग्रेज लेखक जी. डब्लू. गेयर ने लिखा है कि, " It seems to be admitted in the Sitapur District that the bhars were once entire masters of Khairabad." अंग्रेज विद्वान श्री एच. आर. नेबिल, ICS ने भी सीतापुर गजेटियर के वाल्यूम XL के पृष्ठ 162 पर लिखा है कि खैराबाद को राजा खैरा भर ने बसाया था।

राजा खैरा भर का राज्य 11वीं शताब्दी में था। उन्हीं के समकालीन थे महाराजा बिजली भर महाराजा सातन भर। उसी समय लखीमपुर जिले के धौरहरा एवं मितौली आदि क्षेत्रों में भी भरो का राज्य था। इस प्रकार तत्समय लखनऊ, उन्नाव, हरदोई, सीतापुर और लखीमपुर आदि क्षेत्रों में भरो के राज्य थे।


तुर्क आक्रमण के कारण कई भर राजाओ ने अपना राज्य खो बैठे इनमे से एक राजा खैरा भर भी थे राजा खैरा भरो ने तुर्को की अधीनता स्वीकार करने से मना किया तो तुर्क आक्रमणकारी ने राजा खैरा भर के राज्य पर आक्रमण कर दिया राजा खैरा भर ने अपनी सेना के साथ युद्ध भूमि में जा डटे और तुर्को से युद्ध किया इस युद्ध में खैराभर ने अपना राज्य गवाँ बैठे राजा खैरा भर का राज्य उत्तर प्रदेश के डिस्टिक सीता पुर के खैरा बाद में था खैरा बाद का नाम राजा खैरा भर के नाम से ही जाना जाता था राजा खैरा भर को राजपूत राजाओं से और तुर्क आक्रमण करियो से निरंतर सामना करना पड़ता था

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