चौदहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में, जब दिल्ली पर सुल्तान फिरोजशाह तुगलक का शासन काल था, उस समय रायबरेली जनपद के ऊंचाहार नगर पालिका से थोड़ी दूर पर गोड़वा रोहनियाँ नामक स्थान पर एक छोटा सा गणराज्य था जिसके शासक थे माहे भर।
राजा माहे भर एक पराक्रमी योद्धा थे। उनमें अपार संगठन शक्ति थी। उन्होंने अपने बल पर एक बलशाली सेना इकट्ठा की और गोड़वा रोहनियाँ में अपना स्वतंत्र राज्य खड़ा किया।
उन्होंने नेवारी के राजा को युद्ध में धोखे से परास्त किया था। इस जीत से उनको नेवारी राज्य का एक बहुत बड़ा भू-भाग मिला था।
कुछ स्थानीय गद्दारों की मुखविरी के कारण दिल्ली के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक की सेनाओं से राजा माहे भर का जबरदस्त मुकाबला हुआ जिसमें राजा माहे भर वीरगति को प्राप्त हो गये थे। यह युद्ध 1374 ई. में हुआ था। राजा माहे भर का राज्य 1350 ई. से लेकर 1374 ई. के मध्य था। उनके किले के भग्नावशेष आज भी गोड़वा रोहनियाँ में बिखरे पड़े हैं। संरक्षण के अभाव में भरो की यह ऐतिहासिक धरोहर नष्ट होने की कगार पर है।



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