बात कड़वी है मगर सत्य है
राजभर समाज के लिए
जयशंकर सिंह भारशिव
देश का युवा ऊर्जावान है। उसमें क्षमताओं की कोई कमी नहीं है। जरूरत तो सिर्फ सही मार्गदर्शन की है। इसके लिए उन्हें सकारात्मक माहौल देना बेहद जरूरी है। साथ ही युवा भी अपनी सोच में बदलाव लाएं।
वे नौकरी मांगने वाले नहीं, बल्कि रोजगार देने वाले बनें।
दुनिया में भारत की पहचान युवा देश के रूप में हैं। युवाओं की क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल करने से ही समाज में बदलाव आएगा। युवा भी खुद की ताकत को पहचाने और उसी के अनुरूप अपना रास्ता चुनें।
युवा अपनी काबिलियत और नई सोच के बूते पर रोजगार सृजनकर्ता बन सकते हैं। नकारात्मकता को खत्म कर युवा समाज में सकारात्मक बदलाव के भागीदार बनें।
युवा अपने कार्य क्षेत्र में पूरी क्षमता और नई सोच के साथ काम कर समाज को बदल सकते हैं। हमें अपनी क्षमता भी पहचाननी होगी।
हम सिर्फ रोजगार मांगने वाले नहीं है, रोजगार उत्पन्न करने की ताकत भी रखते हैं। जरूरत तो प्रोत्साहन की है। हम पर भरोसा करना होगा।
नकारात्मकता को कभी आसपास भी फटकने नहीं देना चाहिए। सकारात्मक सोच के साथ बढ़ना होगा। इससे राजभर समाज का माहौल बदलेगा।
युवा भेड़ चाल में न पड़ें, बल्कि खुद का लक्ष्य बनाकर उसी दिशा में आगे बढ़ें। हम बदलेंगे, तभी समाज में भी बदलाव आएगा।
ये माहौल बदलना होगा।
युवा क्षमतावान है, जरूरत सही मार्गदर्शन की है। हम खुद आगे बढ़ें और राजभर समाज के वंचित वर्ग को भी साथ लेकर चलें। इसी से समाज बदलेगा।
नकारात्मक बातों से ध्यान हटाकर अनुसंधान के क्षेत्र में युवाओं को अपना ध्यान लगाना होगा। जिस दिशा में युवा चलेगा उसी में समाज भी चल पड़ेगा।
युवा अपनी स्किल्स को पहचानें और उसी के अनुसार काम करें।
देश और समाज में बदलाव हमेशा युवा ही लाया है। सभी आंदोलन युवाओं के बूते पर ही सफल हुए हैं। युवा ऊर्जा का इस्तेमाल सामाजिक बदलाव के लिए हो।
शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ नौकरी न हो, बल्कि ये रोजगारपरक हो। युवा स्वयं का रोजगार खड़ा करने की दिशा में काम करें।
इच्छाशक्ति यदि दृढ़ हो तो ये काम कठिन नहीं है।
हमारी ऊर्जा और क्षमता का उपयोग केवल हम ही न करें, बल्कि ये समाज और देश के काम में भी आए, युवाओं को इसी सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
हम जैसा माहौल देश का चाहते हैं, वैसे ही जनप्रतिनिधि को हमें चुनना चाहिए। चुनाव के दौरान युवा सही फैसला लें और सही प्रतिनिधि को चुनें।
युवा नई बुनियाद रखकर सामाजिक बदलाव के प्रणेता बन सकते हैं। जरूरत सिर्फ मजबूत इच्छा शक्ति की है। सही दिशा का चयन कर आगे बढ़ें।
युवा का मतलब ऊर्जा है। ऊर्जा से कार्यक्षमता बढ़ती है। इस बात को युवा खुद में महसूस करें। अपनी नई सोच के जरिये बेहतरीन समाज का निर्माण करें।
देखने में आ रहा है कि तमाम युवाओं की सबसे बड़ी दिक्कत भेड़ चाल है। जबकि, अपना रास्ता और मंजिल खुद तय करना चाहिए।
इन दिनों में छात्र सड़क पर उतरकर हिंसात्मक आंदोलन कर रहे हैं। इससे समाज को भी गलत दिशा मिल रही है। इससे बचाना चाहिए।
पढ़ाई और रोजगार के दबाव में युवा आत्महत्या जैसा घातक कदम उठा रहे हैं। ये नकारात्मक माहौल की वजह से है। इसे बदलना होगा।
सोशल मीडिया का हम सही इस्तेमाल करें। ये सामाजिक बदलाव में बड़ी मददगार हो सकती है। अपने साथ-साथ समाज के लिए भी बेहतर सोचें।
युवाओं को अपने में बड़ा बदलाव लाना होगा। केवल पढ़ाई तक ही सीमित नहीं होना होगा, सामाजिक सरोकारों के लिए भी समय निकालना होगा।
अनुसंधान में प्रोत्साहित कर युवा क्षमता का सही इस्तेमाल किया जा सकता है। ये समाज और देश के लिए हितकर होगा।
स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि उठो, जागो और लक्ष्य हासिल करने तक कोशिश करते रहो। इन्हें जीवन सूत्र मानते हुए युवा बदलेगा, तो समाज अपने आप बदलेग
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